उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सरल परिचय
( Rights of Consumer under the Consumer Protethion Act, 1986)
सरकार ने 1986 मैं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया था जो लोग गैरकानूनी काम करते हैं, और उपभोक्ता के साथ धोखा बाजी जैसे- जमाखोरी, कालाबाजारी करने वाले, मिलावटखोर इत्यादि, इन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है. ग्राहक चूंकि संगठित नहीं हैं. इसलिए हर जगह ठगा जाता है. ग्राहक के अधिकार की शुरुआत यहीं से होती है. ग्राहक को जागना होगा व स्वयं का संरक्षण करना होगा.
उपभोक्ता कौन है : –
हम सभी उपभोक्ता हैं. जो व्यक्ति किसी भी वस्तु या सेवा का उपभोग करता है. वह उस वस्तु या सेवा का उपभोक्ता होता है हर उपभोक्ता को अपने अधिकार प्राप्त हैं सरकार ने 1986 मैं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया था जिसमें उसने अधिकारों के संरक्षण के लिए उपभोक्ता अदालतों की व्यवस्था की गई है यदि कोई व्यक्ति वस्तुएं व्यापारिक प्रयोजन अथवा पुन बिक्री के प्रयोजन से खरीदा है तो वह व्यक्ति उपभोक्ता नहीं होता है तथापि यदि कोई व्यक्ति स्वयं रोजगार के जरिए जीविका कमाने के प्रयोजन से वस्तुएं खरीदता है तो वह एक उपभोक्ता है
उदाहरण : –
एक कम्प्युटर खरीदता हूं ताकि मैं E-Mitra या कोई अन्य कार्य की दुकान चला सकूँ। ताकी अपना रोजगार कर सकूँ, मैं उपभोक्ता के दायरे में आऊंगा।
यदि मैं 50 कम्प्युटर खरीदा हूं ताकि मैं उसे रीसेल कर सकूँ, तो मै उपभोक्ता नहीं कहलाऊंगा क्योंकि मैंने एक व्यवसायिक प्रयोजन के लिए कम्प्युटर खरीदा है।
उपभोक्ता के अधिकार : –
उपभोक्ता के अधिकार हालांकि अत्यंत विस्तृत है लेकिन फिर भी खुश अधिकार निम्न प्रकार से है
सुरक्षा का अधिकार
सूचना का अधिकार
चयन का अधिकार
सुनवाई का अधिकार
क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
उपभोक्ता के कर्तव्य : –
हर उपभोक्ता के निम्न कर्तव्य है
माल का बिल रसीद अवश्य लें
वस्तुओं को खरीदते समय पैकेट पर लिखे विवरण को ध्यान से पढ़ें
खरीदारी करते समय ISI एगमार्क वस्तुओं को प्राथमिकता दें
वस्तु और सेवा में कमी होने पर शिकायत दर्ज करावे
शिकायत कहां दर्ज कराएं : –
जिला मंच :- यदि वस्तु या सेवा का मूल्य तथा हर्जाने के लिए चाही गई रकम 20 लाख रूपये तक है तो प्रत्येक जिले में स्थापित जिला मंच में शिकायत दर्ज करावे
राज्य आयोग :- यदि वस्तु या सेवा का मूल्य तथा हर्जाने के लिए चाही गई रकम 20 लाख रुपए से अधिक किंतु 1 करोड़ रुपए तक है तो राज्य मे स्थापित राज्य आयोग में शिकायत दर्ज करावे
राष्ट्रीय आयोग :- यदि वस्तु क्या सेवा का मूल्य तथा हर्जाने के लिए चाही गई रकम एक करोड़ से अधिक है तो दिल्ली में स्थापित राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज कराएं
परिवाद कौन दायर कर सकता है : –
उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के तहत परिभाषित उपभोक्ता
कोई भी पंजीकृत उपभोक्ता संगठन
केंद्रीय सरकार
राज्य सरकारे अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन
परिवाद या शिकायत मैं निम्न तथ्य होना आवश्यक है : –
जिसके विरुद्ध शिकायत है उसके किस कारण से शिकायत उत्पन्न हुई और क्या हानि व नुकसान हुआ इसका विवरण आवश्यक है
परिवाद में यह भी आवश्यक रूप से स्पष्ट विवरण होना चाहिए कि किसी वस्तु यहां सेवा में क्या क्या वह किस प्रकार की कमियां है एवं उसके कारण क्या और कितना नुकसान हुआ
निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत वसूली गई या नाप तोल में कम है अथवा फर्जी बाट या माप से तोला किया गया था यह भी स्पष्ट वर्णित किया जाना चाहिए
शिकायत के साथ बिल बाउचर गारंटी कार्ड दुकानदार उत्पादक/डीलर से किया गया पत्र व्यवहार भी संलग्न होना चाहिए
शिकायतकर्ता को वस्तु या सेवा दोष से होने वाली क्षति या नुकसान का क्रमवार विवरण भी दिया जाना चाहिए
राहत क्या मिलती है : –
उपभोक्ता मंच निम्न राहतों का आदेश दे सकते है
वस्तुओं की खामियों को दूर करना
माल या वस्तुओं को बदलना
भुगतान की गई कीमत की वापसी
जो हानि या क्षति हुई है उसके लिए क्षतिपूर्ति करना
सेवा ओ में त्रुटियों अथवा कमियों को दूर करना
अनुचित व्यवहार पद्धतियों/अवरोधक व्यापार पद्धतियों का समाप्त करना तथा निर्देश देना की उनकी पुनरावृति न हो
बिक्री के लिए प्रस्तुत खतरनाक वस्तुओं की वापसी का फैसला लेना
अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त की जा सकती है
अपील कहां से कहां होती है : –
जिला मंच के निर्णय के विरुद्ध – राज्य योजना मे
राज्य आयोग के निर्णय के विरुद्ध – राष्ट्रीय आयोग में
राष्ट्रीय आयोग के निर्णय के विरुद्ध – उच्चतम न्यायालय में
जिला मंच से राज्य आयोग में अपील से पूर्व निर्णय में आदेश राशि की आधी या 25 हजार रुपये
राज्य आयोग से राष्ट्रीय आयोग में अपील के लिए आदेशित राशि की आधी राशि या 35 हजार रुपए
राष्ट्रीय आयोग से उच्चतम न्यायालय में अपील करने पर आदेशित राशि की यादी या 50 हजार रुपए में जो भी राशि कम हो जमा करानी आवश्यक होगी
शिकायत किस क्षेत्रअधिकारिता में करें : –
जहां शिकायतकर्ता ने वस्तु या सेवा खरीदी हो या जहां विरोधी पक्षकार रहता हो या उसका एजेंट/डीलर हो या जहां विरोधी पक्ष का कारोबार करता हो उस क्षेत्र मे अपनी शिकायत करे
शिकायत कैसे करें : –
शिकायत किसी भी आयोग में सादे कागज पर स्वम लिखकर दे सकता हैं या अपने वकील द्वारा भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं
सेवा,मे
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
( जिला मंच उपभोक्ता सरंक्षण/ राज्य आयोग उपभोक्ता सरंक्षण/ राष्ट्रीय आयोग उपभोक्ता संरक्षण )
शिकायत/परिवाद संख्या: वर्ष -.
शिकायतकर्ता का नाम व डाक का पूरा पता -.
विरोधी पक्षकार का नाम व डाक का पूरा पता -.
वस्तु या सेवा का विवरण जिस बाबत शिकायत/ परिवाद पेश किया जा रहा है का संपूर्ण विवरण किससे ली, कब ली, कितनी राशि में ली, सेवा मामले मे क्या क्या कमी रही, सेवा मे क्या दोष रहा, और उससे क्या नुकसान हुआ.
विरोधी पक्ष कार से किया गया पत्र व्यवहार का विवरण
शिकायत का सारांश
वस्तु/ सेवा का मूल्य, साथ ही क्षतिपूर्ति का मूल्य
रसीद, गारंटी अनुबंध का विवरण, संक्षेप में सारांश
शिकायत के पक्ष में साक्ष्य प्रमाण
क्षतिपूर्ति भुगतान किससे कितना प्राप्त करना है
दिनांक – .
शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता के अधिकारो की अधिक जानकारी के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट देखे
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